06 October, 2021

शबरी अपने विवाह के दिन क्यो भाग गयी थी / Shabri apne vivah ke din kyo bhag gayi thi क्या आप जानते हैं

शबरी अपने विवाह के दिन क्यो भाग गयी (Shabri apne vivah ke din kyo bhag gayi thi)

शबरी और भगवान ram

शबरी के पिता एक भील कबिले के राजा थे और उनकी पुत्री श्रमणा (शबरी) एक राजकुमारी थी तो उसी अनुसार उनका विवाह एक भील कुमार से तय हुआ था। उनके पिता राजा थे तो उनके विवाह की तैयारियां जोर शोर से की गई थी। उनके विवाह में भोज के लिए सैकड़ो भैंसे और बकरे बलि के लिए लाए गए थे।

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विवाह के एक दिन पहले उन्होंने इतने भैंसे और बकरे देखे तो जिज्ञासावश पूछा कि इतने पशु को क्यों लाया गया है तब बताया कि ये उनके विवाह में बारातियों और अन्य लोगों के भोजन के लिए इनकी बलि दी जाएगी।

राजकुमारी श्रमणा नेकदिल और दयालु प्रवर्ति की थी अतः ये सुनकर वे बहुत आहत हुई कि उनके विवाह के लिए इन बेजुबान पशुओं की बलि दी जाएगी। शबरी का मन करुणा से भर गया वह सोचने लगी कि यह कैसा विवाह जिसमें इतने पशुओं कि बलि दी जाएगी इससे तो विवाह न करना ही अच्छा है। यही सोचकर वह अपनी शादी के एक दिन पहले रात्रि में उठकर जंगल में भाग गयी।

सारी उम्र शबरी अविवाहित रही और मतंग ऋषि एवं अन्य ऋषि मुनियों की सेवा करती रही। वह दिन रात भगवान श्रीराम की भक्ति में लीन रहती थी जिसके फलस्वरूप भगवान श्रीराम स्वयं उनको दर्शन देने आए थे।

भगवान राम को शबरी को क्यो देने पड़े दर्शन (Bhagwan Ram ko shabri ko kyo dene pade darshan)

अपने भगवत अनुराग के कारण भगवान श्री राम को शबरी को दर्शन देने आना पड़ा। शबरी ने आजीवन भगवान राम की प्रतीक्षा की और नित्य वह जंगल से ताजे फूल लाकर भगवान श्रीराम के आने के लिए उन्हें राह में बिछाती थी। रामजी के भोजन के लिए वह नित्य मीठे बैर भी लेकर आती थी। इतने लंबी कठिन तपस्या का ही फल था कि भगवान को दर्शन देने आना पड़ा। भगवान श्रीराम ने न केवल शबरी को दर्शन दिए बल्कि उनके झूठे बैर भी खाए थे। 

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शबरी का सही नाम या असली नाम क्या था ? Shabri Real Name

माता शबरी का असली नाम श्रमणा था और वे भील समुदाय की राजकुमारी थीं।

 

शबरी नाम क्यो पड़ा ? Shabri naam kyo pada

भील समुदाय में एक जाति होती है शबर जाति, माता शबरी इसी जाति से संबंध रखती थी इसी कारण उनका नाम शबरी हुआ। इस बारे में कुछ लोगों का मत यह भी है कि माता शबरी ने भगवान श्री राम के दर्शन के लिए बहुत ही सब्र किया था इस कारण भी उन्हें शबरी कहा जाता है।

शबरी के माता पिता कौन थे ? Shabri ke Mata Pita kaun the

शबरी के पिता भील जाति के एक कबीले के राजा थे। शबरी के पिता का नाम अज और माता का नाम इंदुमती था।

 

शबरी का जन्म कब हुआ था ? Shabri ka janm kab hua tha

माता शबरी का जन्म फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की सप्तमी तिथि को हुआ था। प्रति वर्ष इसी तिथि को माता शबरी की जयंती मनाई जाती है जिसे शबरी जयंती के नाम से जाना जाता है।

 

शबरी कौनसी जाति की थी ? Shabri kaunsi jati ki thi

शबरी भील समुदाय की शबर जाति की थी। 

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राम ने शबरी को क्या कहा था ? Ram ne Shabri se kya kaha

मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम ने शबरी को "भामिनी" कहकर संबोधित किया था । भामिनी का अर्थ अत्यंत आदरणीय स्त्री होता है और शबरी बहुत ही आदरणीय स्त्री थी। शबरी के बैर खाने के बाद भगवान श्री राम ने कहा कि भामिनी में प्रेम और भक्ति के रिश्ते को मानता हूँ , तुम कौन हो, किस वर्ण से हो, किस कुटुंब से हो, यह सब मायने नहीं रखते।

 

शबरी आश्रम कहाँ है ? Shabri Ashram kaha he

माता शबरी का आश्रम छत्तीसगढ़ राज्य के जांजगीर-चांपा जिले के शिवरीनारायण में महानदी, जोंक और शिवनाथ नदी के तट पर स्थित है। यह शबरीधाम और यहां पर बना हुआ मंदिर प्रकृति के खूबसूरत नजारों से घिरा हुआ है जो यहां आने वाले राहगीरों का मन मोह लेता है।

 

शबरी किस ऋषि की शिष्या थी ? Shabri kis Rishi ki Shishya thi

माता शबरी दंडकारण्य वन में रहने वाले मातंग ऋषि की शिक्षा थी। मतंग ऋषि का जब अंतिम समय निकट था तब उन्होंने ही माता शबरी को प्रभु श्री राम की प्रतीक्षा करने के लिए कहा था।

 

शबरी पुर्व जन्म में कौन थी ? Shabri purv Janm me kaun thi

शबरी अपने पूर्व जन्म में एक रानी थी और उनका नाम परमहंसिनी था। अपने पूर्व जन्म में शबरी ने त्रिवेणी तट पर माँ गंगा में जल समाधि ली थी।

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शबरी ने राम लक्ष्मण को क्या सलाह दी थी ? Shabri ne Ram Laxman ko kya salah di thi

शबरी ने भगवान श्री राम और लक्ष्मण को पम्पा सरोवर की और जाने की सलाह दी थी। शबरी ने कहा था कि वहाँ आपको वानर नरेश महाराज सुग्रीव मिलेंगे जिनकी सहायता से आप माता सीता की खोज शीघ्र कर सकते हैं।


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