विवाह के बाद स्त्री इन सभी चीजों को अनिवार्य रूप से धारण करती है। सोलह श्रृंगार में शामिल हर एक श्रृंगार का अलग ही महत्व है। हर स्त्री चाहती है कि वह सज धज कर सुंदर लगे, सोलह श्रृंगार स्त्री के रूप को और भी अधिक सुंदर और जवान बना देता है वही सोलह श्रृंगार के वैज्ञानिक कारण भी है।
महिलाओं के सोलह श्रृंगार कौन-कौन से हैं / सोलह श्रृंगार के नाम
महिलाओं द्वारा किए जाने वाले सोलह श्रृंगार में सिंदूर, बिंदी, पायल, शादी का जोड़ा, मांग टीका, मेहंदी, बाजूबंद, कमरबंद, मंगलसूत्र, बिछिया, कर्णफूल, नथ, अंगूठी, गजरा, काजल एवं चूड़ियां है।
यहां जानिए कौन-कौन से हैं सोलह श्रृंगार और उनके महत्व Scientific Reasons behind 16 Shringar
1. सिंदूर
सिंदूर विवाह के उपरांत स्त्रियां अपनी मांग में लगाती है जिसे विवाहित स्त्रियों के सुहाग की निशानी माना जाता है। मान्यता है कि सिंदूर लगाने से विवाहित स्त्री के पति की आयु में वृद्धि होती है। इसका प्रसंग रामायण काल में भी मिलता है जहां माता सीता को सिंदूर लगाते हुए देखकर महाबली हनुमान माता सीता से पूछते हैं कि यह सिंदूर लगाने से क्या होता है, तो माता सीता कहती है कि यह सिंदूर लगाने से आपके स्वामी भगवान श्री राम की आयु बढ़ती है। इसी के चलते महाबली हनुमान ने अपनी पूरी काया सिंदूर में रंग दी थी।
वैज्ञानिक तर्क : वैज्ञानिक मान्यताओं के अनुसार सिंदूर महिलाओं के रक्तचाप को नियंत्रित करता है। वही स्त्रियों के शारीरिक तापमान को नियंत्रित कर उन्हें ठंडक देता है और उन्हें शांत रखता है।
स्त्रियों द्वारा जिस स्थान पर सिंदूर लगाया जाता है उस स्थान पर मस्तिष्क की बहुत ही महत्वपूर्ण ग्रंथि होती है। इस स्थान पर सिंदूर लगाने से उनका मस्तिष्क चैतन्य रहता है।
2. बिंदी
सोलह श्रृंगार में बिंदी का बहुत ही महत्त्व है इसे लगाने से सुंदरता तो बनी रहती है साथ ही वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है। शास्त्रों के अनुसार बिंदी को घर, परिवार, सुख समृद्धि का प्रतीक माना जाता है ऐसी मान्यता है कि इसे लगाने से घर में सुख समृद्धि बनी रहती है।
वैज्ञानिक तर्क : सिर के जिस स्थान पर बिंदी लगाई जाती है उस स्थान पर आज्ञा चक्र होता है जिससे इस स्थान पर बिंदी लगाने से मन की एकाग्रता बनी रहती है साथ ही आज्ञा चक्र भी सक्रिय होता है जो ऊर्जावान बनाए रखने में सहायक है।
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3. मंगलसूत्र
सोलह श्रृंगार में उपयोग की जाने वाली वस्तुओं में एक वस्तु मंगलसूत्र है जिसे विवाह के उपरांत ही धारण किया जा सकता है। मान्यता के अनुसार एक विवाहित स्त्री अपने पति की लंबी आयु और जीवन रक्षा के लिए इसे धारण करती है। कहा जाता है कि इसे धारण किए रहने से पति और पत्नी के मध्य अच्छा तालमेल रहता है साथ ही अनेक बाधाएं दूर होती है।
4. शादी का जोड़ा
विवाह के समय कन्या जो वस्त्र धारण करके विवाह जैसे पवित्र बंधन में बंधती है वह वस्त्र भी सोलह श्रृंगार में शामिल है। इन वस्त्रों को ही शादी का जोड़ा कहा जाता है। यह वस्त्र लाल रंग के होते हैं जिनमें लाल ओढ़नी, लाल चोली और लाल घाघरा होता है। यह लाल रंग के वस्त्र पवित्रता के प्रतीक है।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार लाल रंग शुभ मंगल और सौभाग्य का प्रतीक है इसीलिए स्त्रियों द्वारा शुभ कार्यों में लाल रंग का सिंदूर कुमकुम शादी का जोड़ा आदि का प्रयोग किया जाता है
वैज्ञानिक तर्क : यदि वैज्ञानिक मान्यताओं की बात करें तो उनके अनुसार लाल रंग शक्तिशाली एवं प्रभावशाली है जिससे एकाग्रता बनी रहती है। लाल रंग व्यक्तियों की भावनाओं को नियंत्रित कर स्थिरता प्रदान करता है।
5. चूड़ियां
सोलह श्रृंगार की वस्तु में चूड़ियां भी अपना विशेष महत्व रखती है यह चूड़ियां स्वर्ण, चांदी, लाख, कांच आदि अन्य धातु की बनी हुई हो सकती है। स्त्रियों के लिए चूड़ियां पहनना अनिवार्य है विवाह के बाद तो यह चूड़ियां सुहाग की निशानी मानी जाती है।
वैज्ञानिक तर्क : वैज्ञानिक मान्यताओं के अनुसार चूड़ियां महिलाओं के रक्त परिसंचरण में सहायक होती है साथ ही चूड़ियो की ध्वनि स्त्रियों की हड्डियों को मजबूत करने में सहायक है। सोने या चांदी की चूड़ियां पहनने से यह लगातार त्वचा के संपर्क में रहती है जिससे इनको पढ़ने वाली स्त्रियों को सोने व चांदी के गुण प्राप्त होते हैं जो स्वास्थ्य के लिए लाभप्रद है।
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6. अँगूठी
अंगूठी को भी सोलह श्रृंगार में जगह दी गई है जिसे हाथों की उंगलियों में पहना जाता है। प्राचीन काल से ही उंगली में अंगूठी पहनने की परंपरा चली आ रही है। सोलह श्रृंगार में विशेषत: स्वर्ण या चांदी की अंगूठी पहनी जाती है लेकिन यह ताम्र, अष्टधातु या पीतल आदि धातु की भी हो सकती है
वैज्ञानिक तर्क : वैज्ञानिक मान्यताओं के अनुसार हाथों की उंगलियों की नसें सीधे मस्तिष्क व हृदय से जुड़ी होती है इन पर प्रेशर पढ़ने से ह्रदय व दिमाग स्वस्थ रहता है।
अंगूठी उंगलियों की त्वचा से स्पर्श होती रहती है इससे इन धातुओं के गुण तो प्राप्त होती हैं साथ ही या अंगूठी हाथों की उंगलियों में निरंतर प्रवाहित होने वाले रक्त संचार को भी नियंत्रित करती है।
7. पायल
सोलह श्रृंगार में शामिल किए गए श्रृंगार में एक श्रृंगार पायल भी है जिसे पैरों में पहना जाता है। अधिकांशत यह पायल चांदी के बने हुए होते हैं । भारत के अनेक क्षेत्रों में पायल को पायजेब और घुंगरू भी कहा जाता है। पायल के घुंघरू की आवाज से वातावरण सकारात्मक बना रहता है।
वैज्ञानिक तर्क : वैज्ञानिक दृष्टिकोण के अनुसार देखा जाए तो चांदी की पायल महिलाओं को जोड़ो व हड्डियों के दर्द से राहत देती है।
8. कमरबंद
नाम से ही स्पष्ट है कि कमर में धारण किए जाने वाले आभूषण को कमरबंद कहा जाता है जिसे सोलह श्रृंगार में शामिल किया गया है। अनादि काल से विवाह के बाद स्त्रियां कमरबंद को अनिवार्य रूप से धारण करती थी अभी स्त्रियां केवल विवाह के समय और विशेष कार्यक्रम के समय ही धारण करती है। यह कमरबंद स्वर्ण और चांदी के बने हुए होते हैं।
वैज्ञानिक तर्क : वैज्ञानिक मान्यताओं के अनुसार स्त्रियों द्वारा चांदी का कमरबंद पहनने से उनको महावारी व गर्भावस्था के दौरान होने वाले दर्द में राहत मिलती है।
9. बिछिया
स्त्रियों के द्वारा पैरों की उंगलियों में पहने जाने वाले आभूषण को बिछिया कहा जाता है जो रिंग या छल्ले की तरह होती है। बिछिया को भी सोलह श्रृंगार में शामिल किया गया है।
वैज्ञानिक तर्क : वैज्ञानिक मान्यताओं के अनुसार महिलाओं के पैरों की उंगलियों की नसें उनके गर्भाशय से जुड़ी हुई होती है, बिछिया पहनने से उनको गर्भावस्था व गर्भाशय से जुड़ी समस्याओं में राहत मिलती है।
10. मांग टीका
सोलह श्रृंगार में शामिल किया गया एक श्रृंगार मांग टीका है जिसे स्त्रियां अपने माथे पर मांग के बीच में लगाती है। यह मांग टीका स्वर्ण या चांदी की धातु का बना हुआ होता है। यह टीका स्त्रियों को अपने पति के द्वारा प्रदान किए गए सिंदूर का रक्षक होता है।
वैज्ञानिक तर्क : वैज्ञानिक मान्यता के अनुसार मांग टीका महिलाओं के शारीरिक तापमान को नियंत्रित करता है जिससे उनकी सूझबूझ व निर्णय लेने की क्षमता बढ़ती है।
11. काजल
सोलह श्रृंगार में शामिल एक श्रृंगार काजल है। काजल आंखों की सुंदरता बढ़ाने के लिए आंखों में लगाया जाता है। ऐसी मान्यता है कि काजल लगाने से स्त्रियों को बुरी नजर नहीं लगती है साथ ही आंखों से संबंधित अनेक बीमारियों से बचाव होता है।
वैज्ञानिक तर्क : वैज्ञानिक मान्यताओं के अनुसार काजल आंखों को शीतलता प्रदान करता है। आंखों में काजल लगाने से नुकसान दायक सूर्य की किरणों से और धूल मिट्टी आदि से आंखों का बचाव होता है।
12. बाजूबंद
सोने चांदी के बने कड़े जिन्हें स्त्रियां अपने बाजू में धारण करती है उन्हें ही बाजूबंद कहा जाता है। बाजूबंद को भी सोलह श्रृंगार में शामिल किया गया है। यह आभूषण भी स्त्रियों की त्वचा से लगातार संपर्क में रहता है जिससे इन धातुओं के गुण स्त्रियों को प्राप्त होते रहते हैं जो स्वास्थ्य के लिए लाभदायक है।
वैज्ञानिक तर्क : वैज्ञानिक मान्यताओं के अनुसार बाजूबंद स्त्री की बाजू पर सही दबाव डालकर रक्त संचार बढ़ाने में मददगार है।
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13. कर्णफूल
स्त्रियों द्वारा कानों में पहने जाने वाले झुमके कुंडल भी सोलह श्रृंगार का महत्वपूर्ण अंग है। कानों में धारण किए जाने वाले झुमके, कुंडल को ही कर्णफूल कहा जाता है जो सोने या चांदी की धातु के बने हुए होते हैं।
वैज्ञानिक तर्क : वैज्ञानिक मान्यताओं के अनुसार कान पर बहुत सारे एक्यूपंक्चर और एक्यूप्रेशर पॉइंट होते हैं जिन पर सही दबाव दिया जाए तो वह स्त्रियों को होने वाले माहवारी दर्द में राहत प्रदान करते हैं। कर्णफूल उन्हीं प्रेशर पॉइंट्स पर दबाव डालते हैं। कान छेद होने से स्त्रियों को स्वास्थ्य संबंधी अनेक लाभ प्राप्त होते हैं क्योंकि कान की नसें स्त्री की नाभि से लेकर पैर के तलवे तक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
14. मेहँदी
स्त्री के लिये मेहँदी को भी अनिवार्य श्रृंगार माना गया है, मेहँदी भी सोलह श्रृंगार में से एक है। कोई भी मांगलिक कार्य हो उसमें स्त्रियां अपने हाथों और पैरों में मेंहदी रचाती है। ऐसी मान्यता भी है कि विवाह उपरांत स्त्री के हाथों में मेहँदी जितनी ज्यादा अच्छी रचती है उसका पति उससे उतना ही प्यार करने वाला होता है।
वैज्ञानिक तर्क : वैज्ञानिक मान्यता के अनुसार मेहँदी स्त्रियों में त्वचा से संबंधित अनेक रोगों में औषधि का कार्य करती हैं। मेहँदी की खुशबू और ठंडक स्त्री को खुश व ऊर्जावान बनाये रखती है।
15. नथ
सोलह श्रृंगार में एक श्रृंगार नथ भी है, जिसे स्त्रियों द्वारा नाक पर धारण किया जाता है। नथ धारण करने से स्त्रियों की सुंदरता में चार चाँद तो लगते ही है साथ ही इसे धारण करने से स्त्रियों को एक्यूप्रेशर के लाभ मिलते हैं और स्वास्थ्य ठीक रहता हैं।
16. गजरा
स्त्रियों द्वारा श्रृंगार के समय बालों में जो फूलों का गुच्छा लगाया जाता है, उसे ही गजरा कहा जाता हैं। गजरे को भी सोलह श्रृंगार में शामिल किया गया है जो चमेली के सुगंधित फूलों से बनाया जाता है। गजरे के फूलों की सुगंध मन को तरोताजा और ठंडा रखती हैं, साथ ही घर को सुगंधित और पवित्र बनाती हैं।
वैज्ञानिक तर्क : वैज्ञानिक मान्यताओं के अनुसार चमेली के फूलों की महक हर किसी को अपनी और आकर्षित करती है एवं चमेली के फूलों की सुगंध तनाव को दूर करने में सबसे ज्यादा सहायक हैं।
सोलह श्रृंगार के नाम Names of sixteen Makeup
1. Vermilion सिंदूर
2. Bindi बिंदी
3. Anklet पायल
4. Wedding dress शादी का जोड़ा
5. Mang Tika माँग टीका
6. Armlets बाजूबंद
7. Waistband कमरबन्द
8. Henna मेहँदी
9. Mangal sutra मंगलसूत्र
10. Toe Ring बिछियां
11. Ear Flower कर्णफूल
12. Nose Ring नथ
13. Ring अँगूठी
14. Gajra गजरा
15. Kajal काजल
16. Bangles चूड़ियाँ
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