आओ कुछ तो खोंजे
नित नयी मुश्किलें खड़ी है जिन्दगी में
आओ हम जीने के तरीके खोजे
आसमानी उड़ाने बहुत हो गयी
आओ हम धरती पर स्वर्ग को खोजे
गुम हो गए हे धरती के आभूषण
आओ हम बीजो में वृक्ष को खोजे
रुकने के बहाने तो बहुत मिल जायेंगे
आओ हम आगे बढ़ने कि राहे खोजे
गिराने को तो बहुत खड़े हे राहों में
आओ हम उठाने के बहाने खोजे
पैसो कि चमक में गुम होता व्यक्ति
आओ हम उनमे व्यक्तित्व को खोजे
रोना तो पैदा होते ही आ जाता है
आओ हम खिलखिलाती हंसी को खोजे
इस्तमाल करने वाले तो खूब मिलेंगे
आओ हम परवाह करने वालो को खोजे
मंगल पर जीवन खोज रहे है
आओ हम जीवन में मंगल को खोजे
पिंजरों में कैद होते हम सब
आओ हम खुद में आजाद परिंदे को खोजे
बिखरने के बहाने तो बहुत मिलेंगे
आओ हम जुड़ने के अवसर खोजे
पेट को शमशान बना रहे हम
आओ प्रकृति में भोजन को खोजे
विदेशी चकाचौंध में गुम होता युवा
आओ हम उनमे भारतीय को खोजे
धर्म कि आड़ में पौ बारह होती
आओ हम उनमे सनातनी को खोजे
जात-पात में मरता हिन्दू
आओ हम उनमे हिंदुत्व को खोजे
उदासी, गम, दुखों से भरी है जिन्दगी
आओ हम जिन्दगी में हाँस्य-रस `विनोद` को खोजे
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