20 December, 2017

आओ कुछ तो खोंजे

                     आओ कुछ तो खोंजे 


नित नयी मुश्किलें खड़ी है जिन्दगी में
आओ हम जीने के तरीके खोजे

आसमानी उड़ाने बहुत हो गयी
आओ हम धरती पर स्वर्ग को खोजे

गुम हो गए हे धरती के आभूषण
आओ हम बीजो में वृक्ष को खोजे

रुकने के बहाने तो बहुत मिल जायेंगे
आओ हम आगे बढ़ने कि राहे खोजे

गिराने को तो बहुत खड़े हे राहों में
आओ हम उठाने के बहाने खोजे

पैसो कि चमक में गुम होता व्यक्ति 
आओ हम उनमे व्यक्तित्व को खोजे

रोना तो पैदा होते ही आ जाता है
आओ हम खिलखिलाती हंसी को खोजे

इस्तमाल करने वाले तो खूब मिलेंगे
आओ हम परवाह करने वालो को खोजे

मंगल पर जीवन खोज रहे है 
आओ हम जीवन में मंगल को खोजे 

पिंजरों में कैद होते हम सब
आओ हम खुद में आजाद परिंदे को खोजे 

बिखरने के बहाने तो बहुत मिलेंगे 
आओ हम जुड़ने के अवसर खोजे

पेट को शमशान बना रहे हम 
आओ प्रकृति में भोजन को खोजे 

विदेशी चकाचौंध में गुम होता युवा 
आओ हम उनमे भारतीय को खोजे

धर्म कि आड़ में पौ बारह होती
आओ हम उनमे सनातनी को खोजे 

जात-पात में मरता हिन्दू 
आओ हम उनमे हिंदुत्व को खोजे 

  उदासी, गम, दुखों से भरी है जिन्दगी 
आओ हम जिन्दगी में हाँस्य-रस `विनोद` को खोजे

No comments:

Post a Comment

Please do not enter any spam link in the comment box