"तिलक लगाने के बाद क्यों फेंके जाते हैं आस पास चावल" Tilak lagane ke baad kyo fenke jate he aas pas Chawal प्रायः ये सवाल सभी के मन मे आता ही है, तो आइए जानते हैं कि ऐसा क्यों करते हैं
सनातन धर्म में चावल का विशेष महत्व है। प्रायः देखा जाता है कि जब भी कोई धार्मिक कार्य या शुभ कार्य किया जाता है तो उसमें चावल का उपयोग अनिवार्यतः किया जाता है क्योंकि ऐसा माना जाता है कि चावल सबसे शुद्ध अन्न है। भगवान के भोग में भी अधिकांशतः चावल का उपयोग होता है। यज्ञ और हवन करते समय भी देवी देवताओं का चावल ही चढ़ाया जाता है क्योंकि ऐसी मान्यता है कि चावल चढ़ाने से देवी देवता जल्दी प्रसन्न होते हैं।
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चावल को अक्षत भी कहा जाता है जिसका शाब्दिक अर्थ होता है "कभी नष्ट न होने वाला" । ऐसी मान्यता भी है कि चावल के उपयोग से सभी कार्य विघ्न रहित होते हैं।
कच्चे चावल को सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक माना जाता है यही वजह है कि तिलक लगाने के बाद ललाट पर चावल लगाए जाते हैं और लगाने वाले के ऊपर और उसके एवं अपने आस पास चावल फेंके जाते हैं। ऐसा माना जाता है कि आस पास चावल फैंकने से वहाँ उपस्तिथ सारी नकारात्मक ऊर्जा सकारात्मक ऊर्जा में परिवर्तित हो जाए और हम सकारात्मक विचारों के साथ जीवन जिये।
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