09 January, 2021

इन पत्तों से चमका सकते है किस्मत, इनके बिना अधूरा रहता है पूजा-पाठ

प्रकृति के बिना मानव जीवन अधूरा है, इसमें पेड़ पौधे हमारे जीवन के अभिन्न अंग है। पेड़ पौधे हमें ऑक्सीजन देने के साथ ही कार्बन डाइऑक्साइड जैसी हानिकारक गैस को ग्रहण कर लेते हैं। इन्हीं के कारण वातावरण हरा भरा रहता है और पर्यावरण शुद्ध रहता है। प्रकृति के अलावा पेड़ पौधे धार्मिक दृष्टिकोण से भी काफी महत्वपूर्ण है। प्राचीन काल और अनंत वर्षों से पेड़ पौधों की हिफाजत करना सनातन संस्कृति का अहम हिस्सा रहा है।



अधिकांशतः हिंदू धर्म के शुभ और मांगलिक कार्यों में वृक्षों को काफी सम्मान दिया जाता रहा है, समस्त मांगलिक कार्यक्रमों और पूजा पाठ में कुछ प्रमुख वृक्षों के पत्तों का अपना अलग ही महत्व है जिनके बिना उस मांगलिक कार्यक्रम को पूरा करना नामुमकिन है । हरतालिका तीज व्रत में महादेव और पार्वती जी को 16 तरह की पत्तियां चढ़ती है । इस लेख में हम ज्योतिष और शास्त्र के अनुसार हिंदू धर्म में शुभ माने जाने वाले वृक्षों के पत्तों के बारे में जानेंगे।

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1. तुलसी का पत्ता


हिंदू धर्म में तुलसी के पौधे को बहुत ही पवित्र पौधा माना जाता है साथ ही सभी मांगलिक कार्यों में तुलसी के पत्तों का उपयोग किया जाता है। भगवान की पूजा और उनको भोग अर्पण करने में तुलसी के पत्ते या तुलसी दल का होना आवश्यक है। तुलसी पत्ते के बारे में ऐसा कहा जाता है कि तुलसी का पत्ता 11 दिन तक शुद्ध रहता है इसीलिए तुलसी के एक ही पत्ते को भी 11 दिनों तक गंगाजल में धोकर भगवान को अर्पित किया जा सकता है।

लेकिन ध्यान रहे तुलसी के पत्ते को रविवार के दिन एकादशी के दिन द्वादशी के दिन संक्रांति के दिन और संध्या के वक्त नहीं तोड़ना चाहिए । भगवान विष्णु की पूजा में तुलसी के पत्ते या तुलसी दल का होना अनिवार्य है इसके बिना हरि पूजा अधूरी है, वही तुलसी के पत्ते को भगवान भोलेनाथ, गणपति जी और भैरव बाबा को अर्पण नहीं करना चाहिए। शास्त्रानुसार भगवान के भोग में तुलसी पत्ता होना अनिवार्य है अन्यथा भगवान भोग स्वीकार नहीं करते हैं।

विशेष:- तुलसी के पत्तों को कभी भी भगवान के चरणों में अर्पित नहीं करना चाहिए।

2. बिल्वपत्र


भगवान शिव की पूजा में बिल्वपत्र का बहुत ही महत्व है बिल्वपत्र के बिना भगवान शिव की पूजा अर्चना अधूरी है। शिव जी की पूजा, अर्चना और अभिषेक के दौरान बिल्वपत्र चढ़ाना अनिवार्य है शिवलिंग पर बिल्वपत्र चढ़ाने से लक्ष्मी की प्राप्ति होती है। यदि नया बिल्वपत्र नहीं मिल पाता है तो किसी दूसरे के चढ़ाए हुए बिल्व पत्र को भी धो कर उसे चढ़ाया जा सकता है। बिल्वपत्र में जितने अधिक पत्ते होंगे उतना ही उसे उत्तम माना जाता है तथा यह बिल्वपत्र को शिवलिंग पर सदैव उल्टा अर्पित करना चाहिए। बिल्वपत्र को तोड़ते वक्त केवल इसकी पत्तियां ही तोड़नी चाहिए ध्यान रहे टहनी ना टूटे। बिल्वपत्र तोड़ते समय निम्न मंत्र का उच्चारण करना चाहिए

"अमृतोद्भव श्रीवृक्ष महादेवप्रिय: सदा।

गृह्णामि तव पत्राणि शिवपूजार्थमादरात् ॥"

विशेष:- शिवलिंग पर बिल्वपत्र अर्पित करते समय बिल्वपत्र दल में तीन पत्तियां होनी चाहिए एवं इसे चंदन लगाकर शिवलिंग पर उल्टा अर्पित करें।

3. पान का पत्ता


सनातन धर्म में पूजा-पाठ और अन्य शुभ और मांगलिक कार्यों में पान के पत्ते को अनिवार्य रूप से शामिल किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि पान के पत्ते में विभिन्न देवी देवताओं का वास होता है। पान के पत्ते के ठीक ऊपर वाले हिस्से में देवराज इंद्र और शुक्र देव विराजित है, बीच के हिस्से में मां सरस्वती विराजमान है, वहीं पत्ते के निचले हिस्से में मां महालक्ष्मी विराजमान है। भगवान शिव भी पान के पत्ते में वास करते हैं। पूजा पाठ में भगवान को स्नान करवाने, आचमन करने आदि कार्यों में पान के पत्ते का ही उपयोग किया जाता है। कलश स्थापना में भी पान और आम के पत्ते का उपयोग होता है। दक्षिण भारत में किसी भी शुभ और मांगलिक कार्यक्रम में भगवान से प्रार्थना करते समय पान के पत्ते के अंदर पान का बीज और ₹1 का सिक्का रखकर प्रार्थना करने का विधान है। मान्यता के अनुसार यदि आप रविवार को किसी विशेष काम करने के लिए बाहर जा रहे हैं तो आप अपने पास पान का पत्ता अवश्य रखें कहा जाता है कि ऐसा करने से वह विशेष कार्य अवश्य पूरा होता है।

विशेष:- पूजा पाठ में और पूजा की थाली में खण्डित या सुखे हुए पान के पत्ते का उपयोग नहीं करना चाहिए।

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4. केले का पत्ता


सनातन धर्म में केले के पत्ते को पवित्र और पूज्य माना जाता है। पूजा पाठ के दौरान केले के फल तने और पत्ते का उपयोग किया जाता है। हिंदू धर्म में विवाह के समय बांस के साथ केले के पत्तों का ही मंडप बनाया जाता है। ऐसी मान्यता है कि केले के वृक्ष में भगवान श्री हरि का वास है इसीलिए सत्यनारायण भगवान की कथा में केले के पत्तों का ही मंडप बनाया जाता है। दक्षिण भारत में भोजन केले के पत्ते पर ही किया जाता है जिसका अपना साइंटिफिक महत्व भी है। गुरुवार के दिन भगवान बृहस्पति देव की पूजा में केले का विशेष महत्व बताया गया है। मान्यता के अनुसार यदि आप साथ गुरुवार नियमित रूप से केले के वृक्ष की पूजा अर्चना करते हैं तो सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है वही अविवाहित कन्याओं को सुंदर व सुशील वर की प्राप्ति होती है।

विशेष:- भगवान श्री हरि विष्णु और माँ लक्ष्मी को केले के पत्ते पर भोग लगाने से विशेष फल की प्राप्ति होती है।

5. आम का पत्ता


सनातन धर्म में धार्मिक कर्मकांड और मांगलिक कार्यक्रम में आम के पत्तों का उपयोग किया जाता है, इसके अलावा विवाह के दौरान तोरण में भी आम के पत्ते को शामिल किया जाता है। वैदिक काल से ही हवन आदि में आम की लकड़ियों का उपयोग करते आ रहे हैं वहीं पूजा पाठ आदि ने आम के पत्तों का विशेष महत्व है। पौराणिक काल से ही घर के मुख्य द्वार पर आम के पत्तों की माला बनाकर लगाई जाती है, ऐसा माना जाता है कि इससे सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है। वरुण कलश स्थापना में पान के पत्तो के साथ आम के पत्तों का ही उपयोग होता है।

विशेष:- भगवान राम के प्रमुख सेवक हनुमान जी महाराज की पूजा के दौरान आम का पत्ता होना अनिवार्य है क्योंकि आम हनुमान जी को विशेष प्रिय हैं।

6. सोम की पत्ती


पौराणिक काल से ही देवी देवताओं को सोम की पत्तियां अर्पित की जाती रही है, हालांकि वर्त्तमान में इन पत्तियों का मिलना बहुत ही मुश्किल है क्योंकि इनकी पहचान कम ही लोगो को पता है और ये सोम लताएं पर्वत श्रृंखलाओं में ही पायी जाती है। प्राचीन काल मे इन्हीं सोम पत्तियों से सोम रस निकाला जाता था जो नशे से रहित होता था। कुछ विद्वान सोम की पत्ती को ही संजीवनी बूटी कहते हैं।

7. शमी का पत्ता


शमी का पत्ता भगवान गणपति और भगवान शनि दोनों को चढ़ता है। गणपति जी को शमी का पत्ता बहुत प्रिय है क्योंकि इस पत्ते में भगवान शिव का वास होता है इसीलिए इस पत्ते को गणेश जी पर चढ़ाते हैं। शमी के पत्ते को शनिवार के दिन भगवान शनि को अर्पित करने से शनि के दोस्त कम होते हैं और बिगड़े हुए काम बनने लग जाते हैं। शमी का पता भगवान शिव को भी चढ़ाया जाता है हर सोमवार के दिन शिवलिंग पर  शमी का पत्ता चढ़ाने से ग्रहों के दोष दूर होते हैं। ऐसा माना जाता है कि घर में शमी का पेड़ लगाने से घर में सुख समृद्धि बनी रहती है और देवी देवताओं की कृपा हमेशा रहती है।

विशेष:- यदि घर परिवार नौकरी और कारोबार में परेशानियां है तो बुधवार के दिन गणेश जी को शमी के पत्ते अर्पित करने चाहिए।

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8.पीपल का पत्ता


हिंदू धर्म में मान्यता के अनुसार पीपल वृक्ष में सभी देवी देवताओं का वास होता है पूर्ण भगवान शिव को भी पीपल का पत्ता बहुत प्रिय है इसीलिए पीपल वृक्ष को देवों का देव कहा गया है। भगवान शिव को पीपल के पत्ते अर्पित करने से शनि के दुष्प्रभाव से बचा जा सकता है। वही पीपल के वृक्ष के नीचे बैठकर उस पीपल के 11 पत्ते तोड़कर उन पर चंदन से भगवान श्री राम का नाम लिखकर उनकी माला बनाकर हनुमानजी को अर्पित की जाती है जिससे सभी कष्टों का निवारण होता है। पीपल के वृक्ष की परिक्रमा करने मात्र से कालसर्प जैसे दोस्त से भी छुटकारा पाया जा सकता है।

विशेष:- यदि आपकी कुंडली में अशुभ ग्रहों का योग है तो नित्य पीपल के वृक्ष में जल अर्पित करें जिससे अशुभ ग्रह के दुष्प्रभाव समाप्त हो जाएंगे। शनिवार के दिन पीपल के वृक्ष के नीचे दीपक जलाने से समृद्धि आती है।

9. बड़ का पत्ता

बड़ के पत्ते का विशेष प्रयोग श्री राम भक्त हनुमान जी महाराज की पूजा में होता है। मान्यता के अनुसार यदि बड़ के पत्ते को होली के दिन हनुमान जी के सामने रखकर हनुमान जी से सुख समृद्धि और कर्ज मुक्ति की प्रार्थना करके, इस पत्ते पर केसर से श्रीराम लिख कर इसे पर्स में रखने से सुख समृद्धि प्राप्त होती है और कर्ज से भी मुक्ति मिलती है।

10. मदार के पत्ते

मदार के पत्ते का प्रयोग हनुमान जी को प्रसन्न करने में तथा उनकी विशेष कृपा प्राप्त करने के लिए किया जाता है। मदार के पत्ते को स्वच्छ जल से धोकर उन पर चमेली के तेल और चंदन से राम राम लिखकर, नित्य हनुमान जी को उनकी माला बनाकर चढ़ाने से सभी कष्टों का निवारण होता है।

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