14 September, 2020

क्यों धारण किया जाता है रुद्राक्ष, जाने रुद्राक्ष के लाभ


रुद्राक्ष शब्द संस्कृत भाषा का एक योगिक शब्द है जो रूद्र और अक्सा नामक शब्दों से मिलकर बना है। रूद्र भगवान शिव के वैदिक नामों में से एक हैं और अक्सा का अर्थ है आंसू की बूंद।


रुद्राक्ष की उत्पत्ति

पौराणिक कथाओं और धार्मिक मान्यताओं के अनुसार माता सती के देह त्याग पर भगवान शिव को बहुत ही दुख हुआ था, जिससे भगवान शिव की आंखों से निकले ये आँसू अनेक स्थानों पर गिरे इन्हीं आंसुओं से रुद्राक्ष उत्पन्न हुआ है।

रुद्राक्ष के प्रकार

रुद्राक्ष एक से लेकर 21 मुखी तक होते हैं। रुद्राक्ष पर प्राकृतिक रूप से धारिया बनी हुई होती है इन धारियों को गिनकर इन्हीं के आधार पर इनका 1-21 मुखी तक का वर्गीकरण किया जाता है। इनके अलावा गणेश रुद्राक्ष, शिव रुद्राक्ष, गौरीशंकर रुद्राक्ष, नागमुखी रुद्राक्ष भी होते हैं। कुछ रुद्राक्ष को doctor रुद्राक्ष और fire रुद्राक्ष भी कहा जाता है।
 

रुद्राक्ष धारण करने का शुभ मुहूर्त

रूद्राक्ष को पूर्णिमा जैसे शुभ दिनों में धारण करने पर व्यक्ति के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं। इसके अतिरिक्त ग्रहण में, संक्रांति को, अमावस्या को, वैशाखी, तीर्थाटन, दीपावली, महाशिवरात्रि, नवरात्रि में धारण करना चाहिए। इनके अलावा आप इष्टदेव के निकट, कुम्भ पर्व में, गंगा पर्व में और और सोमवार को गुरुदेव के सानिध्य में धारण कर सकते हैं। रुद्राक्ष का आधार ब्रह्मा जी, इसकी नाभि विष्णु जी, इसके चेहरे रुद्र और इसके छिद्र देवताओं के होते हैं।

रुद्राक्ष पहनने के नियम

किसी भी प्रकार का रुद्राक्ष धारण करना हो या किसी विशेष उद्देश्य के लिए रुद्राक्ष धारण करना हो सभी के लिए कुछ नियम है, इनका पालन करना बेहद आवश्यक होता है क्योंकि इन नियमों का पालन करने पर ही रुद्राक्ष का सभी फल प्राप्त होता है।
रुद्राक्ष धारण करने से पूर्व उसकी जांच अवश्य करनी चाहिए कि वह रुद्राक्ष असली है। यदि कोई रुद्राक्ष खंडित या कांटो से रहित या कीड़ा लगा हुआ है उस रुद्राक्ष को कभी भी धारण नहीं करना चाहिए।
रुद्राक्ष धारण करने से पहले उस रुद्राक्ष को कच्चे दूध और गंगाजल से पवित्र करें और फिर केसर, दूध और सुगंधित पुष्पों से शिवजी की पूजा करने के बाद ही इसे धारण करें।
रुद्राक्ष को शुभ मुहूर्त में ही धारण करें लेकिन उसे धारण करने से पूर्व उसमें प्राण प्रतिष्ठा अवश्य करवाएं ।
रुद्राक्ष को नाभि के ऊपर भाग में ही धारण करें जैसे सिर में, गले में, कलाई पर या बाँह में। रुद्राक्ष को कभी भी अंगूठी मैं धारण नहीं करना चाहिए क्योंकि अंगूठी में धारण करने से उसकी पवित्रता नष्ट हो जाती है।
रुद्राक्ष धारण करके कभी भी प्रसूति गृह शमशान या किसी की अंतिम यात्रा में नहीं जाना चाहिए । मासिक धर्म के दौरान स्त्रियों को रुद्राक्ष उतार देना चाहिए इनके अलावा रात्रि में सोने से पूर्व भी रुद्राक्ष उतार दे।

रुद्राक्ष पहनने में रखे सावधानी

पुराणों और शास्त्रों में रुद्राक्ष धारण के विषय में कोई विशेष परहेज नहीं बताया गया है लेकिन फिर भी रुद्राक्ष धारण करने वाले व्यक्ति को तामसिक पदार्थों से दूर रहना चाहिए। मांस, मदिरा, प्याज, लहसुन आदि का त्याग करना उचित होता है। आत्मिक शुद्धता के द्वारा ही रुद्राक्ष के लाभ को प्राप्त किया जा सकता है। शुद्ध विचार, मनुष्य के कल्याण तथा मानसिक शांति के लिए बेहद जरूरी है इसीलिए रुद्राक्ष पहनने वाले व्यक्ति को अपने विचार शुद्ध, तन-मन स्वच्छ एवं सात्विक भोजन ग्रहण करना चाहिए। रुद्राक्ष मन को पवित्र कर विचारों को पवित्र करता है।

रुद्राक्ष के लाभ, रुद्राक्ष के महत्त्व या रुद्राक्ष के फायदे

रुद्राक्ष एक ऐसा फल माना गया है जो अर्थ धर्म काम और मोक्ष प्रदान करने में कारगर है। शिवपुराण, पद्मपुराण, रुद्राक्षकल्प, रुद्राक्ष महात्म्य आदि ग्रंथों में रुद्राक्ष के अपार महिमा बताई गई है। वैसे तो सभी रुद्राक्ष लाभकारी होते हैं लेकिन मुख के अनुसार इनका महत्व अलग-अलग बताया गया है। धार्मिक मान्यताओं और शास्त्रों के अनुसार जिस घर में रुद्राक्ष की नियमित पूजा होती है वहां पर अन्न, वस्त्र, धन-धान्य कि कभी भी कमी नहीं रहती है और वहां पर सदैव मां लक्ष्मी का निवास रहता है।

एक मुखी रुद्राक्ष

 
एक मुखी रुद्राक्ष सबसे महत्वपूर्ण और लाभदायक रुद्राक्ष माना जाता है जिसमें साक्षात भगवान महादेव का निवास माना जाता है । इसका मुख्य ग्रह सूर्य होते हैं। यह एक मुखी रुद्राक्ष बहुत अधिक ऊर्जावान होता है जो धारक को प्रदान करता है।
यह एक मुखी रुद्राक्ष पापों को मुक्त करने वाला है। इसे धारण करने पर मन शांत होता है और धन का आगमन भी होने लगता है वही हृदय रोग, नेत्र रोग, सिर दर्द का कष्ट दूर होते है। यह एक मुखी रुद्राक्ष पहनने से मन भयमुक्त एवं विकार रहित होता है जिससे चेतना का द्वार खुलता है।
यह रुद्राक्ष क्रूर ग्रहों के नकारात्मक प्रभाव को दूर करने में मदद करता है, विशेष रूप से जन्म कुंडली में सूर्य के नकारात्मक प्रभाव को दूर करने के लिए भी पहना जाता है। यह रुद्राक्ष सहस्त्र चक्र को जागृत करता है जो कि स्वर्ग और पृथ्वी के बीच की कड़ी का प्रतीक है।

 
दो मुखी रुद्राक्ष
 
2 मुखी रुद्राक्ष को भगवान महादेव और माता पार्वती दोनों का स्वरूप माना गया है यह रुद्राक्ष अर्धनारीश्वर का प्रतिनिधित्व करता है। इसका मुख्य ग्रह चन्द्र हैं। 2 मुखी रुद्राक्ष को धारण करने वाले का अंतर्मन स्वस्थ और ठीक रहता है एवं उसका दांपत्य जीवन सुखी रहता है। जिन लोगों पर राहु के दुष्प्रभाव हैं एवं जिन्हें अनिद्रा की शिकायत रहती है उन्हें यह दो मुखी रुद्राक्ष अवश्य धारण करना चाहिए। यह दो मुखी रुद्राक्ष पढ़ने वाले को आंतरिक आनंद और रचनात्मकता प्रधान करते हुए सभी पहलुओं में सकारात्मकता भी प्रदान करता है। यह दो मुखी रुद्राक्ष मनुष्य के जीवन से तनाव और पीड़ा को दूर करता है, मांसपेशियों को मजबूत करता है एवं यौन समस्याओं को भी ठीक करने में सहायक है।यह शिव और शक्ति का प्रतीक है इसे धारण करने पर यह फेफड़े, गुर्दे, वायु और आंख के रोग को बचाता है। यह माता-पिता के लिए भी शुभ होता है।
 
तीन मुखी रुद्राक्ष
 
तीन मुखी रुद्राक्ष को त्रिदेवों का प्रतीक माना जाता है इसे धारण करने वाले पर त्रिदेव ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों की कृपा होने लगती है। भगवान शिव के त्रिनेत्र है वही माँ भगवती महाकाली भी त्रिनेत्रा है इसलिए इसे त्रिनेत्र का प्रतीक भी माना गया है जिसका मुख्य ग्रह मंगल है।
तीन मुखी रुद्राक्ष में अग्नि तत्व जिसके फलस्वरुप यह व्यक्ति की पेट की बीमारियों को दूर करता है एवं पेट संबंधी बीमारियों में अद्भुत लाभ देता है। इसे धारण करने वाले व्यक्ति को दिव्य तेज व शक्ति तो प्राप्त होती ही है साथ ही स्त्री हत्या जैसे महापाप से भी मुक्ति मिलती है। तीन मुखी रुद्राक्ष को पहनने वाले व्यक्ति में आत्मविश्वास बढ़ता है एवं वह ऊर्जावान बने रहता है साथ ही व्यक्ति को समाज में मान सम्मान व जीवन में सफलता मिलती है।
तीन मुखी रुद्राक्ष धारण करने से रक्तविकार, रक्तचाप, कमजोरी, मासिक धर्म, अल्सर जैसे रोगों में भी लाभ मिलता है।
ध्यान करने वाले व्यक्ति के आज्ञा चक्र जागरण (थर्ड आई) में इसका विशेष महत्व है।
 
चार मुखी रुद्राक्ष
 
4 मुखी रुद्राक्ष के प्रमुख देवता ब्रह्मा जी है इसे चतुर्मुख ब्रह्मा का स्वरूप माना गया है। चारों वेदों का प्रतीक भी माना गया है। यह चारों वर्ण ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य व शूद्र तथा चारो आश्रम ब्रह्मचर्य, गृहस्थ, वानप्रस्थ तथा संन्यास के द्वारा पूजित और परम वंदनीय है। चार मुखी रुद्राक्ष बुधग्रह का प्रतिनिधित्व करता है, इसे वैज्ञानिक, शोधकर्त्ता और चिकित्सक यदि पहनें तो उन्हें विशेष प्रगति का फल देता है।
इसे धारण करने वाला धनवान, आरोग्यवान, ज्ञानवान व प्रखर बुद्धि वाला बनने लग जाता है। यहां 4 मुखी रुद्राक्ष बुद्धिदाता है, पढ़ने में कमजोर या बोलने में अटकने वाले बालकों के लिए यह धारण करना उत्तम है।
इससे धारण करने पर मानसिक रोगों में शांति मिलती है एवं इसका स्वास्थ्य भी उत्तम रहता है। यह मानसिक रोग, बुखार, पक्षाघात, नाक की बीमारी, त्वचा रोग, गले संबंधी समस्याओं में भी लाभदायक है।
पांच मुखी रुद्राक्ष
 
यह रुद्राक्ष साक्षात भगवान शिव का प्रसाद एवं सुलभता से प्राप्त होने वाला भी है। यह बृहस्पति ग्रह का प्रतिनिधित्व करता है और भगवान शिव के काल अग्नि रूद्र रूप से शासित है। यह मानव के पांच तत्व अग्नि जल वायु आकाश और पृथ्वी के रूप में है वही यहां भगवान शिव के 5 रूपों का प्रतीक भी है।
यह ऊर्जा के निर्बाध प्रवाह के लिए लाभदायक है जिससे शरीर में चक्र सक्रिय होने में मदद मिलती है। इस पंचमुखी रुद्राक्ष को धारण करने वाला व्यक्ति निडर बनता है एवं और असमय होने वाली मृत्यु से बचाव होता है। यह तारक को तनावमुक्त करता है और उसके मन को शांत लगता है साथ ही उसके अच्छे स्वास्थ्य को सुनिश्चित करता है। यह बृहस्पति का कारक है जिससे बृहस्पति के क्रूर प्रभाव का असर कम होता है एवं व्यक्ति बुद्धिमान बनता है।
पांच मुखी रुद्राक्ष सभी रोगों को हरण करने वाला माना गया है। मधुमेह रोग, ब्लडप्रैशर, नाक, कान, गुर्दा की बीमारी में धारण करना बहुत ही लाभप्रद है।
 
छ: मुखी रुद्राक्ष
 
6 मुखी रुद्राक्ष भगवान शिव और माता पार्वती के जेष्ठ पुत्र कार्तिकेय द्वारा शासित है। यह रुद्राक्ष मंगल ग्रह से संबंधित है लेकिन यह शुक्र ग्रह द्वारा शासित है एवं इसको तीनों देवियों मां सरस्वती, मां लक्ष्मी और माता पार्वती का स्वरूप माना गया है। इस रुद्राक्ष को धारण करने वाले व्यक्ति को असीम गुणों के साथ आशीर्वाद की प्राप्ति भी होती है।छह मुखी रुद्राक्ष जीवन में स्वास्थ्य धन संबंधी सुख आदि को बढ़ाता है और तुला राशि के जातकों के लिए यह रुद्राक्ष बहुत ही शुभ माना गया है।6 मुखी रुद्राक्ष को धारण करने वाले व्यक्ति में आकर्षण बढ़ता है, बुद्धि और स्थिर मन होने के साथ ही ज्ञान भी बढ़ता है साथ ही व्यक्ति के व्यक्तित्व कौशल और कलात्मक गुणों में वृद्धि होती है। इस रुद्राक्ष को धारण करने से आत्मघृणा, झुंझलाहट और क्रोध जैसी भावनाओं से छुटकारा मिलता है साथ ही यह धारक की यौन समस्याओं के इलाज में भी सहायक है।इस पर शुक्रग्रह सत्तारूढ़ है जिससे यह शरीर के समस्त विकारों को दूर करता है, उत्तम सोच-विचार को जन्म देता है एवं राजदरबार में सम्मान विजय प्राप्त कराता है।
सात मुखी रुद्राक्ष
 
7 मुखी रुद्राक्ष का अधिपति ग्रह शनि है, यह रुद्राक्ष मां भगवती महालक्ष्मी और सब कृतियों का प्रतिनिधित्व करता है। जातक की कुंडली में शनि कमजोर स्थिति में है तो इसे धारण करके इसके नकारात्मक प्रभावों को कम किया जा सकता है। 7 मुखी रुद्राक्ष जातक के जीवन से दुर्भाग्य को दूर करने के लिए जाना जाता है। ज्योतिष के अनुसार मारक ग्रह की दशा होने पर इसको धारण किया जाता है जिससे यह रक्षा कवच की जैसे कार्य करता है और व्यक्ति को अकाल मृत्यु के भय से मुक्त करता है।
यह व्यक्ति की सप्तधातु की रक्षा करता है और मेटाबॉलिज्म को चुस्त-दुरुस्त करता है। यह रुद्राक्ष धारक के लिए रोजगार के अवसरों और संभावनाओं को खोलने में मदद तो करता ही है साथ ही वह व्यक्ति की आय को बढ़ाते हुए यह धन को स्थिर रखने में मदद करता है। यह धारक के हितों और कलात्मक कौशल को बढ़ाते हुए उसके जीवन में सुख समृद्धि और संतोष लेकर आता है।
यह शुक्र ग्रह के प्रभाव को कम करता है साथ ही पाचन संबंधी समस्याओं को ठीक करने एवं मधुमेह जैसी समस्याओं को भी दूर करने में मदद करता है। यदि किसी व्यक्ति को शनि की साढ़ेसाती या ढैया लगी हुई है तो उसको यह सात मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए जिससे वह शनिदेव को खुश कर साढ़ेसाती के क्रूर प्रभाव से बच सके। इसे धारण करने पर माँ लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है, हड्डी के रोग दूर होते है, और यह मस्तिष्क से संबंधित रोगों को भी रोकता है।
 
आठ मुखी रुद्राक्ष
 
8 मुखी रुद्राक्ष को प्रथम पूज्य भगवान श्री गणेश का स्वरूप माना जाता है साथ ही इसे धारण करने पर भैरव बाबा की भी विशेष कृपा प्राप्त होती है। आठ मुखी रुद्राक्ष को धारण करने से गंगा में नहाने जैसा पुण्य प्राप्त होता है साथ ही यह रुद्राक्ष जीवन में आने वाली समस्याओं को दूर करने और संकट में लोगों की मदद करने के लिए माना जाता है। 8 मुखी रुद्राक्ष का सत्तारूढ़ ग्रह केतु है, जिससे इसको धारण करने से राहु और शनि दोष के बुरे प्रभाव को कम करने में मदद मिलती है। 8 मुखी रुद्राक्ष पहनने से कालसर्प दोष के प्रभाव को खत्म किया जा सकता है।
यह रुद्राक्ष धारण करने वाले व्यक्ति को ऊर्जावान बनाते हुए उसके जीवन से नीरसता को दूर करता है साथ ही उसके जीवन में सफलता लाने में मदद करता है। यह व्यक्ति की सकारात्मकता, संतुष्टि और प्रसन्नता को बढ़ाते हुए उसको इच्छा शक्ति और स्थिरता प्रदान करता है।
यह पैर की हड्डी से संबंधित समस्याओं का इलाज करने में सहायक है साथ ही यह फेफड़े लिवर और पेट संबंधी समस्याओं को भी ठीक करने में मदद करता है। यह रुद्राक्ष त्वचा, रोग नेत्र रोग आदि से भी छुटकारा दिलाने में सहायक है।
 
नौ मुखी रुद्राक्ष
 
यह 9 मुखी रुद्राक्ष नवग्रहों का प्रतीक है, साथ ही यह नव शक्ति संपन्न मां दुर्गा का प्रतिनिधित्व भी करता है। इस रुद्राक्ष को नौ देवियों का प्रतीक भी माना गया है।
यह रुद्राक्ष को धारण करने वाले को आत्मविश्वास और शक्तिशाली बनाता है साथ ही धारक के दिमाग से समय भय को मुक्त करता है। यह रुद्राक्ष महिलाओं को शारीरिक और मानसिक शक्ति प्रदान करने के साथ ही कैरियर उन्मुख महिलाओं के लिए अनुशंसित है। यह रुद्राक्ष राहु और केतु ग्रह के क्रूर प्रभाव को दूर करने में सहायक है साथ ही यह पहनने वाले से नकारात्मक ऊर्जा को दूर रखता है।
यह रुद्राक्ष धारण करने वाले व्यक्ति में फोबिया, चिंता और मति भ्रम को दूर करने में मददगार है। यह व्यक्ति में मिर्गी के इलाज, शरीर में दर्द, त्वचा को प्रभावित करने वाली एलर्जी को ठीक करने में भी मदद करता है, साथ ही यह पेट संबंधित समस्याओं को भी दूर करता है। यह रुद्राक्ष दरिद्रता नाशक होता है हाथ में लगभग सभी लोगों से मुक्ति का मार्ग भी देता है ।

 
दस मुखी रुद्राक्ष
 
10 मुखी रुद्राक्ष को भगवान श्री हरि विष्णु का आशीर्वाद माना जाता है, जो त्रिमूर्ति देवताओं का अंश है एवं जिन्हें ब्रह्मांड का पालनहार कहा जाता है। यह रुद्राक्ष भगवान श्री हरि विष्णु जी के दशावतार आशीर्वाद का स्वरूप है, यह धारक के प्रभाव को दसों दिशाओं में फैलाता है। यह रुद्राक्ष भूत प्रेत बाधा, डाकिनी और पिशाचिनी जैसी बुरी शक्तियों के प्रभाव से बचाता है। 10 मुखी रुद्राक्ष तंत्र-मंत्र की साधना करने के लिए एवं शरीर के सात चक्रों को संतुलित बनाए रखने के लिए भी सहायक है।
यहां 10 मुखी रुद्राक्ष धारण धारण करने वाले के ग्रहों के नकारात्मक प्रभाव को ठीक करता है तथा यह धारक को अकाल मृत्यु से बचाता है। यह काले जादू के दुष्प्रभाव को कम करता है साथ ही आसपास के नकारात्मक वातावरण भूत, प्रेत, पिशाच ऐसी शक्तियों को दूर करने में मदद करता है। यह जीवन में दिशा खोजने में मदद करता है एवं इसका उपयोग से घर में वास्तु दोष या किसी अन्य वास्तु संबंधी समस्याओं को कम करने के लिए भी किया जाता है।
यह अनिद्रा और मन की अस्थिरता जैसी समस्याओं को हल करने में मदद करता है एवं यह धारण करने वाले में निराशावादी विचारों को दूर करते हुए उसमें आत्मविश्वास को बढ़ाता है। यह त्वचा एवं पेट संबंधी समस्याओं का इलाज करने, यौन विकारों को ठीक करने एवं तंत्रिका तंत्र को मजबूत करने में मदद करता है।  
ग्यारह मुखी रुद्राक्ष
 
11 मुखी रुद्राक्ष को साक्षात रूद्र का अवतार माना जाता है और यह भगवान शिव के ग्यारहवें अवतार हनुमान जी का प्रतिनिधित्व करता है। इस रुद्राक्ष को एकादशी रुद्र भी कहा जाता है क्योंकि यह हनुमान जी के गुण, समर्पण और ध्यान से परिपूर्ण है एवं इसमें देवराज इंद्र के आशीर्वाद भी समाहित है।
इस रुद्राक्ष को धारण करने करने वाले को जन्म और मृत्यु के चक्र के भय से मुक्ति मिलती है साथ ही इसे गर्दन या सिर के चारों ओर पहनने से तुरंत परिणाम प्राप्त होते हैं। यह रुद्राक्ष धारण करने वाले को शारीरिक और मानसिक शक्ति प्राप्त करने में मदद करता है, उसको बुद्धिमान बनाता है साथ ही उसकी शारीरिक इंद्रियों को नियंत्रित करने में मदद करता है।
यह धारण करने वाले व्यक्ति में डर को दूर करने में मदद करता है, असमय मौत से बचाता है साथ ही लंबी उम्र और सुरक्षा प्रदान करता है। 11 मुखी रुद्राक्ष साढ़ेसाती के दुष्प्रभाव को कम करने में सहायक है साथ ही भूत, प्रेत, देवी बाधा, शत्रु भय आदि से मुक्त करने में सहायक है।
इस रुद्राक्ष को धारण करना परम शुभकारी है इसके प्रभाव से धर्म का मार्ग मिलता है, धार्मिक लोगों का संग मिलता है और ईश्वर की कृपा का मार्ग बनता है।

बारह मुखी रुद्राक्ष

12 मुखी रुद्राक्ष को शिव का अवतार माना जाता है एवं इसे 12 ज्योतिर्लिंग का प्रतीक भी माना जाता है। 12 मुखी रुद्राक्ष का आधिपत्य सभी ग्रहों का स्वामी सूर्य है इसे द्वादशी आदित्य के रूप में भी जाना जाता है। इस रुद्राक्ष में सृष्टि के रचयिता भगवान ब्रह्मा जी का आशीर्वाद निहित है एवं इसे धारण करने वाले को 108 गायों के दान के बराबर शक्ति और आशीर्वाद प्राप्त होता है ।
जो व्यक्ति अधिकारी पेशे में है उन्हें कार्यस्थल पर मान सम्मान नहीं मिलता है उनके लिए यह धारण करने चमत्कारी फायदे मिलते हैं। 12 मुखी रुद्राक्ष लोगों के मन में संदेह को दूर करने जीवन में स्पष्टता लाने विशेष मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करने और सही रास्ता चुनने में मदद करता है । यह व्यक्ति को मानसिक और शारीरिक पीड़ा से बचाकर उसे निरोगी बनाने में सहायता करता है । यह धारक को आंतरिक खुशी देता है तनाव मुक्त बनाता है उसके नेतृत्व गुणों को विकसित करते हुए व्यक्ति की आंतरिक आत्मा को मजबूत करता है।
12 मुखी रुद्राक्ष को धारण करने से मूत्र और श्वसन रोगों का इलाज करने में मदद मिलती है, कमजोर दिल मजबूत होता है, व्यक्ति में क्रोध और चिंता को कम करने में सहायता मिलती है, नेत्र रोग से निदान मिलता है एवं ब्रेन से संबंधित कष्टों का निवारण होता है। यह धारक को सूर्य एवं राहु ग्रह के दुष्प्रभाव से बचाता है एवं शिव की कृपा से ज्ञान चक्षु खोलने में सहायता करता है ।
तेरह मुखी रुद्राक्ष
 
13 मुखी रुद्राक्ष शुक्र और चंद्रमा दोनों द्वारा शासित होता है एवं इसे देवराज इंद्र और मां महालक्ष्मी का आशीर्वाद प्राप्त है। इस रुद्राक्ष को भगवान कामदेव का आशीर्वाद भी प्राप्त है जो पहनने वाले को दैवीय चमत्कार और अपार शक्ति प्रदान करते हैं । यह रुद्राक्ष धारण करने वाले को सांसारिक सुख देने में मदद करता है एवं उस व्यक्ति के विचारों भावनाओं और अवचेतन को साफ करने की दिशा में कार्य करता है।
यह धारण करने से व्यक्ति में चुंबकत्व और उनके प्रति लोगों को आकर्षित करने के लिए आकर्षण तो बढ़ाता ही है साथ ही व्यक्ति को जीवन में सही रास्ता चुनने और जो वे चाहते हैं उसे प्राप्त करने में सहायता करता है।
यह 13 मुखी रुद्राक्ष कुंडली को जगाने में सहायता करता है एवं मंगल ग्रह और शुक्र ग्रह के प्रभाव को दूर करने में मदद करता है तथा यह आराम और आध्यात्मिक उन्नयन प्रदान करने में भी सहायता करता है। 13 मुखी रुद्राक्ष निसंतान दंपतियों को संतान प्राप्त करने में सहायता करता है और महिलाओं के प्रजनन अंगों को सक्रिय करने और इससे जुड़ी समस्याओं को ठीक करने में मदद करता है ।

चौदह मुखी रुद्राक्ष

14 मुखी रुद्राक्ष भगवान शिव का प्रतीक है एवं इसमें भगवान शिव और हनुमान जी का आशीर्वाद है। पौराणिक कथाओं के अनुसार 14 मुखी रुद्राक्ष का निर्माण भगवान शिव की तीसरी आंख से गिरे आंसू से हुआ था। जिस तरह भगवान शिव की तीसरी आंख खोलने से सभी बुरी शक्तियों का नाश हो जाता है वैसे ही इस रुद्राक्ष को पहनने वाले के जीवन में सभी नकारात्मक उर्जायें समाप्त हो जाती हैं और सकारात्मकता का विकास होता है। यह रुद्राक्ष व्यक्ति को सही निर्णय लेने, जीवन में सफलता और समृद्धि प्राप्त करने में मदद करता है। 14 मुखी रुद्राक्ष धारण करने वाले व्यक्ति पर शनि ग्रह और मंगल ग्रह की कृपा बनी रहती है।
यह रुद्राक्ष धारक को उसकी क्षमताओं को पहचानने में मदद करता है, उसकी इच्छा शक्ति को मजबूत बनाता है एवं उसमें वीरता प्रदान करता है। 14 मुखी रुद्राक्ष व्यक्ति के जीवन में मंगल दोष के प्रभाव को कम करता है एवं शनि की साढ़ेसाती के प्रभाव को कम करने में भी सहायता करता है।
14 मुखी रुद्राक्ष शरीर में मांसपेशियों और हड्डियों को मजबूत बनाता है, तंत्रिका तंत्र विकारों के इलाज में और स्त्री रोग संबंधी समस्याओं के इलाज में मदद करता है और यह दुख, चिंता और भय से बचाता है। यह त्वचा रोग, बाल के रोग और पेट के रोगों को दूर करने में भी सहायता करता है।

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